Thursday, 29 September 2011

Ashok Agarwal ki ek gazal

.जी भर के मक्कारी कर
बातें प्यारी-प्यारी कर

इस दफ्तर में हाथ न जोड़
थोड़ी मुट्ठी भारी कर

अनशन-वनशन रहने दे
अब तो मारा -मारी कर

कितने हाथ उठेंगे देख
सच पे रायशुमारी कर

संकेतों की टिक टिक सुन
चलने की तैय्यारी कर

सुबह सवेरे शंख बजा
दिन भर चोरबजारी कर

कथनी - करनी एक बना
मत वादे सरकारी कर

मन को ढोए फिरता है
मन पर कभी सवारी कर

असली की है पूछ कहाँ
खोटे सिक्के जारी कर

शीशे सी ख्वाहिश लेकर
मत पत्थर से यारी कर

संसद जाये चूल्हे में
रूपया ले गद्दारी कर

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